विशेष इंटरव्यू:मेरी मां दिल्ली यूनिवर्सिटी की टॉपर थीं, पर करिअर नहीं बना पाईं, इसीलिए मैंने अपनी कंपनी में 11 हजार महिला टीचर को ही रखा है

 

  • करीब 18 माह में 50 लाख बच्चे करा चुके हैं कोडिंग सीखने के लिए रजिस्ट्रेशन
  • 6 से 18 साल तक के बच्चे बना रहे हैं जिंदगी आसान बनाने वाले जरूरी ऐप्स
  • बच्चों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा कोडिंग प्लेटफार्म वाइट हैट जूनियर

8 साल की वृंदा जैन ने एक ऐसा ऐप बनाया है, जो मेट्रो शहरों की व्यस्त सड़कों पर एंबुलेंस को रास्ता बताने में मदद करता है। 10 साल के गर्वित सूद ने आंखों की जांच करने वाला ऐप दृष्टि बनाया है। पार्किंग जुड़ी कोई टेक्नोलॉजी हो या हमारे हेल्थ से जुड़ा ऐप ऑनलाइन कोडिंग क्लास वाइटहैट जूनियर के 6 से 18 साल के बच्चे शानदार काम कर रहे हैं। हाल ही में अमेरिका और भारत के 26 बच्चों ने व्हाइट हैट जूनियर सिलिकॉन वैली चैलेंज में हिस्सा लिया। बीते अगस्त में बायजू ने वाइटहैट जूनियर का अधिग्रहण किया है। दैनिक भास्कर के शादाब शामी ने कंपनी के फाउंडर और सीईओ करण बजाज से बात की।


सवाल: बच्चों को कोडिंग सिखाने का आइडिया कैसे आया?


जवाब: मेरी दो बेटियां है। मेरी ख्वाहिश रही कि मेरी बेटियां कुछ नया बनाए। जो क्रिएटिव होते हैं उनका जीवन एंगेजिंग होता है। मैंने नोबेल लिखना शुरू किया तो जीवन बदला। लगा मैं कुछ बना लूंगा। इसलिए मैंने यह शुरू किया। आज कोडिंग ऐसे ही नई चीजों को बनाने का जरिया है। जैसे इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन के समय मैथ्स का ट्रेंड शुरू हुआ, वह एक भाषा बन गई। वैसे ही आज कुछ बनाने की भाषा कोडिंग है, मैं बच्चों को उसके लिए तैयार करना चाहता हूं।


सवाल: कितने बच्चे और टीचर्स जुड़ गए हैं आपके साथ?


जवाब: हमारे 11 हजार टीचर हैं। अब तक करीब 18 महीने में 50 लाख स्टूडेंट्स रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। डेढ़ लाख बच्चे पेड स्टूडेंट्स है। यह भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी है। यहां रोज 40,000 क्लासेज होती हैं।


सवाल: वाइटहैट जूनियर में सिर्फ महिलाएं ही पढ़ाती हैं?


जवाब: जी हां, हमारी सभी टीचर्स महिलाएं हैं। यह महिलाएं हमसे जुड़ने से पहले वर्कफोर्स का हिस्सा नहीं थीं। यह वह है जो बहुत पढ़ी-लिखी हैं, टैलेंटेड है, लेकिन कहीं नौकरी नहीं कर रही थीं। यह किसी ना किसी कारण से नौकरी के लिए घर से बाहर जाने में सक्षम नहीं थीं। हमने ऐसी महिलाओं को ही मौका दिया है।


सवाल: सिर्फ फीमेल टीचर ही क्यों?


जवाब: मेरे पिता आर्मी ऑफिसर थे। मां बहुत पढ़ी- लिखी थीं, दिल्ली यूनिवर्सिटी की टॉपर थीं, लेकिन पिता का बार-बार ट्रांसफर होने की वजह से मां कभी करिअर नहीं बना पाईं। ऐसे में मुझे लगा कि देश में ऐसी लाखों महिलाएं होंगी, जो टैलेंटेड होने के बाद भी करिअर नहीं बना पा रही होंगी। ऐसे में मैंने तय किया कि सिर्फ ऐसी ही महिलाओं को टीचिंग के लिए रखा जाएगा। यह मेरे जैसे आंत्रप्रेन्योर की जिम्मेदारी है कि वो इन्हें मौका दें।


सवाल: इतने छोटे बच्चे कोडिंग क्यों सीखें?


जवाब: एक महत्वपूर्ण इंटरनेशनल रिसर्च है कि बच्चे की पीक क्रिएटिविटी 5 से 6 साल की उम्र में होती है। उसे लगता है कि इस समय सब कुछ मुमकिन है। इसके बाद हर 10 साल पर उसकी क्रिएटिविटी आधी होती रहती है। ऐसे में कोडिंग जैसे क्रिएटिविटी अगर बच्चे बचपन में ही सीख लें तो संभव है कि उनकी क्रिएटिविटी बची रहे।


सवाल: कई लोग कहते हैं कि यह बच्चे पर एक बोझ है?


जवाब: जब भी दुनिया में कोई नई चीज आती है, उसका विरोध होता ही है। संभव है कि जब मैथ्स आई हो तो उसका भी विरोध हुआ हो। लेकिन उन बच्चों से पूछना चाहिए जो कोडिंग का अनुभव ले रहा है। आप कल्पना कीजिए कि उसे कितनी खुशी मिलती होगी, जब वह खुद एक रॉकेट बनाता होगा। वह बच्चा प्रेशर में नहीं कर रहा, वह सीख रहा होता है। वैसे ही बच्चे हफ्ते में सिर्फ दो क्लास लेते हैं, इसलिए कोई बोझ नहीं। 18 से 20 महीने में ही हम बायजू के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी एजूटेक कंपनी बन गए हैं, अगर बच्चों को पसंद नहीं होता तो ऐसा संभव ही नहीं था।


सवाल: बच्चों के लिए भविष्य में यह कैसे फायदेमंद है?


जवाब: नया और क्रिएटिव सीखने के साथ ही इसका बड़ा फायदा यह है कि बच्चा तकनीक को समझ पाता है। हम दूसरे के बनाएं ऐप्स आदि इस्तेमाल करते हैं, जो बच्चे अभी सीख रहे हैं उनकी फीलिंग है कि मैं भविष्य में खुद अपने लिए चीजें बनाऊंगा।

Nhận xét

Bài đăng phổ biến từ blog này

BYJU's FAQs on FutureSchool: Get Answers to Your Questions About the Popular EdTech Program

WhiteHat Jr CEO Karan Bajaj on How and Why Coding Education Is So Important

WhiteHat Jr joins EnduroSat to boost space education